“कुछ पल ख़वाब के” जिसके सहारे मैंने उन ख्वाहिशों को जिनको मैं हासिल नहीं कर पाया, अपनी इन कविताओं में समेट कर उन नाकामयाबियों को जीं भर के जी लिया हैं। मैं अपनी कविताओं से उन लोगो को जिनकी कुछ अधूरी ख्वाहिशें रह गई हैं, उनके साथ उन ख्वाहिशों को पल भर जीना चाहता हूँ। मैं ये भी आशा करता हूँ की मेरी इस कोशिश से उन सब को एक यकीं खुद पे भी रहे, क्योंकि “ज़िन्दगी अभी बाकी हैं मेरे दोस्त”।
